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Friday, August 28, 2015

दरवाजा खोला

आज आपको एक इंडियन माल की चूत मारने की कहानी सुनाउंगा और ये कहानी बिल्कुल अलग है। सच तो ये है कि वो मेरे बाप की सेक्रेटरी है, और उनकी गर्लफ्रेंड है। मेरे पापा एल आई सी में काम करते हैं और जोनल मैनेजर हैं। सुधांशु मिश्रा, कानपुर एल आई सी हेड, और मेरा नाम है अमर मिश्रा। मेरे पापा ए ग्रेड अधिकारी होने की वजह से काफी रुतबे वाले हैं और उनकी शराब और शबाब में डूबे रहने की आदत है। इधर पिछले महीने एक नयी लौन्डीया ने आफिस ज्वाइन किया है। नाम है सौम्या। वो अभी बिल्कुल नयी नयी जवान हुई है, उम्र मेरे बराबर लगभग इक्कीस साल, चूंचे छत्तीस के, गांड अड़तीस की और कमर तीस बत्तीस होगी। दूधिया रंग, ट्यूबलाईट जैसा, जींस टाइट उसका तो फ्यूचर ब्राइट लग रहा था मेरे पापा के आफिस में। वैसे बता दूं कि आफिस और मेरा फ्लैट एक ही अपार्टमेंट में है। तो पापा को उस लौंडिया को अपने बेडरुम तक बुलाने में कोई परेशानी नहीं होने वाली थी। एक दिन मम्मी अपने पापा के घर चली गयीं। उस दिन शनिवार था, जल्द ही छुट्टी हो गयी। पापा ने सौम्या को अपने पास इनवाइट किया होगा। अच्छा मौका था उसे फांसने का। सौम्या भी हाईफाई गर्ल थी, और उस दिन वो सीधे हमारे फ्लैट पर पहुंची। काल बेल रिन्ग हुई तो मैने दरवाजा खोला और अचानक उसे अपने दरवाजे पर देख कर मेरा माथा ठनका।
मैं समझ गया कि आज इसकी इंडियन गांड चूत समेत सबकुछ का बाजा बजना ही बजना है। कमरे में पापा के ले जाकर मैं सीधा बगल वाले कमरे में जहां से कि खिड़की से जो कि मैने हल्की खोल के रखी थी, पहले से, उससे झांकने लगा। पापा ने कमरे में आते ही सौम्या को गले लगाके उसके चूंचे दबाने शुरु कर दिये। वो मुस्कराते हुए बोली ” आराम से सर, कोई जल्दी है क्या? पापा ने उसको अपने बाहों में उठा कर सोफे पर बिठा दिया। और दोनों बाते करने लगे। सौम्या कह रही थी ” सर आपकी वाईफ कहां हैं, आप उनको चीट नहीं कर रहे हैं ना? पापा ने कहा – अरे कैसा चीट यार, जब देखो दुनिया दारी से पड़ी रहती है, वो इतनी ठंडी हो गयी है बेड में कि पूछो मत। बस पड़ जाती है ढीली होके और मैं चोद के निकल जाऊं? ये तो सेक्स नहीं है। सेक्स का मतलब है, कुछ जोरदार, झन्नाटेदार और कमाल का जिससे की दिमाग के घंटे बज जाएं। चूत भी ढीली हो गयी है उसकी। बुढापा जल्दी आ गया उसका मोटी हो गयी है। छोड़ो उसकी बातें” ये सब सुनकर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, शायद पापा ने उसको प्रमोशन का लालच देके बुलाया था चोदने के लिए। अब उन्होंने सौम्या को अपनी गोद में बिठा लिया, और उसके चूंचे दबाने लगे। उसकी भरपूर जवानी का प्रदर्शन होने की उम्मीद थी आज मुझे। फिर उन्होंने टीशर्ट के उपर से ही उसके चूंचे मुह में ले लिए।
वो बोली ” आह्ह सर क्रेजी हो रहे हैं आपतो?” और फिर पापा ने उसके चूंचों को काटते हुए कहा ” रानी, तुम्हें देख कर तो मैं पहले दिन से ही क्रेजी हो गया था। तुम्हारा प्रमोशन कराके हेड सेक्रेटरी बनाने तक तुम्हारे चूंचे ऐसे ही मुझे मिलते रहें बस” सौम्या बोली ” अरे सर क्या बात करते हैं, मैं तो आपकी ही हूं, जैसे लीजिए। और फिर उसने अपनी टीशर्ट उतार दी। उसके गोरे गोरे मस्त चूंचे अभी भी पारदर्शी बिना फीते वाली स्टाइलिश ब्रा में छुपे थे। पापा ने अपने दांतों से उसके ब्रा को नोंच डाला। अब उसके काले काले निप्पल मेरे आंखों के सामने थे। पापा उसके निप्पलों को अपने दांतो से चबाने लगे थे। वह उम्म्म्माह उम्म्म, प्लीज आराम से, आह्ह उफ्फ करके उनको उत्तेजित कर रही थी। और उत्तेजित पापा ने उसके जींस में हाथ डाल कर उसकी चूत को टटोलना शुरु कर दिया। वो टाइट जींस थी और उसमें मुश्किल से हाथ जाता था। उसने खुद ही अपनी जींस का बटन खोल दिया और बेड पर लोट गयी। पापा ने उसकी जिंस को बाहर खींचना शुरु कर दिया। वो निकल ही नहीं रही थी और फिर सौम्या ने उसको खींच कर अलग किया। उसकी लंबी लंबी गोरी टांगें और काली पैंटी अभी भी चूत को ढंके हुई थी। पापा ने उसकी पैंटी खींच कर फाड़ दी। अब गोरी गोरी मलाई जैसी उसकी चूत की फांके और उसपर हल्के काले काले बाल, उफ्फ। पापा अपना लंड निकाल कर उसके उपर टूट पड़े।
उसने उनके लंड को पकड़ कर मूठ मारना शुरु कर दिया। अब लंड खड़ा हो गया था और अब उसने उस लंड को अपने मुह में ले लिया। पापा उसको कह रहे थे, चल अब रंडी की तरह एक्टिंग कर। अब वो बोल रही थी, ” चोदो मेरे मुह में, पैसे वसूल कर लो अपने। पापा ने अपना पूरा लंड उसके मुह में पेल दिया और वो अचकचा के थूक उगलने लगी। शायद उसको गले में मोटा लंड फंसने से दिक्कत हो रही थी। पुरे कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिय  अब उन्होंने लंड मुह से खींच लिया। उसको टांगे फैला के खड़ा करा दिया, वो अपनी गांड पीछे की तरफ उचका के अपनी चूत को उभार रही थी। पीछे से उसके चूंचे पकड़ कर पापा ने उसको किस करते हुए अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। अब दोनो मस्ती में थे। धकाधक, फचाफच और पचापच। चूत में लंड एकदम से टाइट हो रहा था। अब बोल रही थी, फाड़ दो मेरी चूत को सर, इतना अंदर डाल दो कि बस मेरी जवानी की प्यास बुझ जाए, आह्ह!!! इतना मस्त लंड तो मेरे ब्वाय फ्रेंड का भी नहीं है। और पापा ने अपने लंड से उसकी चूत की सवारी गांठते गांठते उसको एकदम मस्त कर दिया। अब वो कुतिया बनने के लिए तैयार थी।
उसने अपने दोनों हाथ पलंग पे रखे और कमर झुका कर कुतिया बन गयी। अब पापा ने उसकी गांड में लंड डालकर चोदना शुरु किया। एक दम सूखी गांड में अचानक से लंड पेल देने से वो चिल्लाई, “उईई मां मर गयी, जरा थूक या लुब्रिकेंट लगा लो सर!” पर पापा, सिर्फ उसकी गाँड के अंदरुनी चिकनाई पर निर्भर थे। उन्होंने उसकी चूंचियां मसलते हुए उसकी गांड मारी और फिर अपना वीर्य उसके मुह में उगल दिया। वो वीर्य को इस तरह चाट गयी जैसे कि मलाई खा के बिल्ली अपनी मूंछो पर ताव देती है। इसके बाद वो जल्दी जल्दी कपड़े पहन के बाहर निकलने लगी तो मैने फिर उसे बाहर तक छोड़ा। मुझे देख कर वो मुस्कराई और मुझे उसकी चूत की छवि याद आ गयी।

अगले भाग में पढेंगे कैसे मैने उसकी चूत को हासिल किया।

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